elon musk : प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जब मस्क और मोदी की मुलाकात हुई तो भारत में टेस्ला की लॉन्चिंग पर चर्चा हुई। मस्क ने यह भी बताया था कि वह भारत आकर प्लांट स्थापित करेंगे, लेकिन एक दिन पहले भारत सरकार का यह बयान टेस्ला और मस्क दोनों के लिए बड़ा झटका है। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि टेस्ला के लिए कोई नई नीति नहीं बनाई जाएगी। अमेरिका स्थित इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अलग नीति बनाने की कोई योजना नहीं है। कंपनी PLI जैसी मौजूदा योजनाओं के तहत लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकती है। टेस्ला भारत सरकार की सब्सिडी और आयात शुल्क को लेकर फंस गई है। ऐसे में टेस्ला के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि, भारत में एंट्री करें या अपनी योजना को कुछ समय के लिए टाल दें।
सब्सिडी और आयात शुल्क :
2021 में टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर आयात शुल्क में कटौती की मांग की। भारत पूरी तरह से बिल्ट युनिटस (CBUs) के रूप में आयात की कारों पर 60% से 100% तक कस्टम ड्युटी लगाता है। जिनकी इंजन और आकार लागत, बीमा और सीआईएफ मूल्य 40,000 अमेरिकी डॉलर से कम या अधिक है। टेस्ला इसे कम या पूरी तरह हटाने की बात कर रही है। भारत सरकार इस बात पर अड़ी हुई है कि यह शुल्क बिल्कुल नहीं हटाया जाएगा। ये नियम दुनिया की सभी कंपनियों के लिए हैं, जो भारत में अपना सामान बेच रही हैं। सरकार का कहना है कि अगर टेस्ला को भारत में काम करना है तो उसे यहां प्रोडक्शन यूनिट लगानी होगी और सप्लाई चेन बनानी होगी। भारत सरकार ने पहले ही 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाएं ( PLI ) और ऑटो, ऑटो-कंपोनेंट्स और ड्रोन उद्योगों के लिए 26,058 करोड़ रुपये की PLI योजना शुरू कर दी है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि टेस्ला को इन शर्तों के साथ आना होगा।
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टाटा को होगा फायदा :
भारतीय कंपनियां भी ईवी को लेकर काफी सतर्क हो गई हैं। टाटा समूह ने ईवी मार्केट में ऊंचा स्थान प्राप्त किया है। टाटा चाहते हैं कि उन्हें भारत सरकार की PLI योजना का अधिक लाभ मिले। टाटा समूह ब्रिटेन में ईवी बैटरी गीगाफैक्ट्री स्थापित करने के लिए 44 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा। ईवी को लेकर टाटा ग्रुप काफी सतर्क है। पिछले महीने खबर आई थी कि टाटा ग्रुप गुजरात में 13,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। इस निवेश के तहत टाटा समूह ईवी बैटरी प्लांट स्थापित करेगा। ईवी बैटरी प्लांट देश को आयात पर निर्भर हुए बिना अपनी ईवी चेन बनाने में मदद करेगा। अगर टेस्ला को भारत आने में देरी होती है, तो इसका सीधा फायदा टाटा ग्रुप को होगा। क्योंकि टाटा समूह तेजी से अपने ईवी कारोबार का विस्तार कर रहा है और भविष्य में टाटा देश की सबसे बड़ी ईवी कंपनी बन सकती है। इसके साथ ही यह देखना भी महत्त्वापूर्ण हो गया है कि भारत में टेस्ला को कौन टक्कर दे सकता है?
भारत में टेस्ला को कौन टक्कर देगा? :
अगर टेस्ला भारत आती है तो उसका मुकाबला सिर्फ टाटा ग्रुप से ही नहीं, बल्कि भारत में काम कर रही सभी इलेक्ट्रिक कंपनियों से होगा। इसमें ओला ऑटो भी शामिल है, जो 2024 तक अपनी ईवी कार लॉन्च करने के लिए तैयार है। उससे पहले यह ईवी बाइक लेकर आएगी। दूसरी ओर, इसमें बजाज, टीवीएस मोटर्स, पियाजियो, ओलेट्रा ग्रीनटेक, ओकिनावा ऑटो टेक, एमजी मोटर्स इंडिया, महिंद्रा एंड महिंद्रा, जेबीएम ग्रुप, हुंडई, हीरो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, इलेक्ट्रोथर्म, अतुल ऑटो, एथर एनर्जी, ग्रीव्स इलेक्ट्रिक मोबिलिटी शामिल हैं। मुख्य रूप से टाटा ग्रुप, महिंद्रा और ओला भारत में टेस्ला के लिए सबसे बड़ी चुनौती हो सकते हैं।
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