green hydrogen : इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी इंदौर ने पीईटी प्लास्टिक कचरे से शुद्ध हाइड्रोजन बनाने का एक आसान तरीका विकसित किया है। संस्थान ने पानी में पीईटी कचरे से बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करने की एक प्रक्रिया विकसित करने का दावा किया है। विकसित प्रक्रिया पीईटी के प्राथमिक घटकों के निर्माण के साथ-साथ पीईटी कचरे को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में बदलने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका प्रदान करेगी। जिसका उपयोग आगे पीईटी के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
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आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर संजय के. सिंह ने बताया की, हम प्लास्टिक कचरे को पानी में बारीक टुकडे, उत्प्रेरक और अन्य पदार्थ डालकर 160 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करते हैं। इस रासायनिक प्रक्रिया से उत्पन्न 100 प्रतिशत शुद्ध हाइड्रोजन गैस जमा की जाती है। रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से 33 किलोग्राम पीईटी प्लास्टिक कचरे से एक किलोग्राम शुद्ध हाइड्रोजन गैस का उत्पादन किया जा सकता है और इतना ग्रीन ईंधन हाइड्रोजन से चलने वाली कार को 100 किलोमीटर तक चलाने के लिए काफी है।
भारत में जल्द ही हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली कारें नजर आएंगी। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय परिवहन मंत्री गडकरी ने बताया था कि भारत सरकार ने 3000 करोड़ रुपये का मिशन शुरू किया है। और जल्द ही भारत हाइड्रोजन निर्यातक देश बन जाएगा।
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ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है। हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी से अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग किया जाता है। इलेक्ट्रोलाइज़र रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग करता है। इसमें सौर और पवन ऊर्जा दोनों शामिल हैं। हाइड्रोजन का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जा रहा है, इनमें रसायन, लोहा और बिजली शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की, हाइड्रोजन से प्रदूषण भी नहीं होता है।
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