क्या आपने कभी गौर किया है कि भारत में सभी कारों में स्टीयरिंग व्हील दाईं ओर होती है? यह कई ड्राइवरों और यात्रियों के लिए सवाल खड़ा कर सकता है। स्टीयरिंग व्हील को बीच में या बाईं ओर क्यों नहीं रखा जाता है? आइए भारतीय ऑटोमोबाइल में इस अनूठी डिज़ाइन पसंद के पीछे के कारणों का पता लगाते हैं।
यातायात नियमों का प्रभाव
भारत में दाएं हाथ की स्टीयरिंग व्हील रखने का मुख्य कारण यातायात नियम है जिसके अनुसार वाहनों को सड़क के बाईं ओर चलाना अनिवार्य है। यह नियम 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले ब्रिटिश काल से है। इसी समय ड्राइविंग के तौर-तरीके स्थापित हुए, जिसने आज वाहनों के डिजाइन को आकार दिया।
घोड़ागाड़ी की विरासत
मूल रूप से, घोड़ागाड़ी के चालक अपने वाहन के दाईं ओर बैठते थे ताकि आने वाले यातायात का बेहतर दृश्य प्राप्त कर सकें। इस स्थिति में बैठने से वे सड़कों पर अधिक सुरक्षित और कुशलता से चल पाते थे। जैसे-जैसे इन गाड़ियों की जगह कारों ने ले ली, चालक को दाईं ओर बैठाने की प्रथा जारी रही।
स्पष्ट दृश्यता सुनिश्चित करना
जैसे-जैसे ऑटोमोटिव तकनीक विकसित हुई, सड़क और आने वाले ट्रैफ़िक की स्पष्ट दृश्यता सुनिश्चित करने के लिए ड्राइवर की सीट की स्थिति दाईं ओर बनी रही। यह डिज़ाइन विकल्प ड्राइवरों को सुरक्षित निर्णय लेने में मदद करता है, खासकर जब अन्य वाहनों को ओवरटेक करना हो या भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर चलना हो।