पहले लोग सरल थे, परिश्रम करते थे और दीर्घ जीवन जीते थे। उसके बाद मनुष्य की प्रगति हुई, तकनीक उसके साथ आई और वहीं से मनुष्य का पतन शुरू हुआ। भारत में भले ही आधुनिकता आ गई हो, लेकिन इसके साथ इसके दुष्परिणाम भी आए हैं। एक नई रिसर्च सामने आई है, जिसे भारतीयों को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है।
किसी भी वाहन से निकलने वाला धुआं प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन इसका मानव शरीर पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है। अब, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, यह पाया गया है कि कार के धुएं से मेमरी लॉस और अल्जाइमर रोग हो सकता है।
पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य शोधकर्ता मसाशी किताज़ावा (पीएचडी) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि, कार के धुएं का सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। शारीरिक स्वास्थ्य खराब हो रहा है लेकिन धुएं के कारण मानसिक स्थिति भी बिगड़ रही है। भारत में यह बीमारी और भी बढ़ सकती है। धुएं में जहरीले पदार्थ मानव मस्तिष्क को प्रभावित कर रहे हैं।
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भारत में इस तरह की बिमारी बढ़ती जा रही है और अब इसके प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। क्योंकि अगर इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो लोग इस बीमारी से बड़े पैमाने पर ग्रस्त हो सकते हैं। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध के अनुसार, उन्होंने काम और संज्ञानात्मक कार्य की जांच की और पाया कि दोनों मानक कण पदार्थ के संपर्क में आने से प्रभावित हुए थे।
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