अब होटल के कचरे से होंगे इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज, मुंबई महापलिका की अनूठी पहल, जानिए इस जबरदस्त आईडिया के बारे में विस्तार से
मुंबई: बढ़ते ईंधन दरों की वजह से अब देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ चुकी है। गौरतलब है की आप कई नए स्टार्ट अप्स कम कीमत में बढ़िया गाड़िया बना रही है, जिससे इलेक्ट्रिक गाड़ियों का आंकड़ा अब हैरतअंगेज ढंग से बढ़ रहा है।
बढ़ते इलेक्ट्रिक गाड़ियों की वजह से चार्जिंग सतसहन की भी मांग बढ़ी है। वही इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन भी बढ़ रहा है। जिस वजह से इसका सीधा असर कोयले की बढ़ती मांग पर भी हो रहा। बताने की जरुरत नहीं, पिछले कुछ महीनों से देश में कोयले की कमी हो रही है।
इसी बिच मुंबई से राहत वाली खबर सामने आई है। मुंबई में एक ऐसा चार्जिंग स्टेशन है, जहा इलेक्ट्रिसिटी निर्माण करने के लिए पारंपरिक स्त्रोतों की जरुरत नहीं है। यहाँ होटल से बचे कचरे से बिजली निर्माण की जा रही है। आइए जानते है इस अद्भुत चार्जिंग स्टेशन के बारे में विस्तार से… (India’s first electric vehicle charging stations operated on hotel wastes)
ऐसे काम करेगा यह चार्जिंग स्टेशन
पिछले महीने देश का पहला बायोगैस आधारित इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) चार्जिंग स्टेशन मुंबई में लॉन्च किया गया था। चार्जिंग स्टेशन मुंबई के हाजी अली में स्थापित किया गया है। अब इस चार्जिंग स्टेशन के लिए बिजली उत्पादन के लिए साउथ मुंबई के होटलों से सीधे कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा।
तो अब जब आप दक्षिण मुंबई के किसी रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हैं तो आपकी थाली में बचा खाना या उस होटल के गीले कचरे का इस्तेमाल नजदीकी इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन पर खड़ी इलेक्ट्रिक गाड़ी को चार्ज करने के लिए किया जाएगा.
मुंबई नगर निगम के डी वार्ड ने बिजली उत्पादन के लिए मुंबई में पहला बायोगैस संयंत्र चालू किया है। इसके लिए प्रतिदिन आसपास के 30 रेस्तरां से कचरा एकत्र किया जाएगा और उस कचरे से बिजली पैदा की जाएगी।
फायदे
गौरतलब है कि इसके कई फायदे हैं। कचरे का प्रबंधन होगा, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बिजली पैदा होगी, कोयले की बचत होगी, परिवहन लागत कम होगी। पेट्रोल-डीजल की खपत कम होगी, बिजली की लागत कम होगी। फिलहाल इस चार्जिंग स्टेशन पर दो इलेक्ट्रिक वाहनों को एक साथ चार्ज किया जा सकता है। यह संख्या जल्द ही 6 होगी।
रोजाना 300 यूनिट बिजली
सबसे अहम् फायदा यह है कि कचरे का सही तरीके से निस्तारण किया जा रहा है और बायो ईंधन के विकल्प विकसित किए जा रहे हैं। प्लांट में प्रति दिन 300 यूनिट बिजली पैदा करने की क्षमता ऐसा एक संयंत्र प्रति दिन 1000 किलो कोयले की बचत करेगा।